Friday 24 December 2010

Jaag Yuva / जाग युवा

युवा तेरे हाथो में भविष्य
पर तेरा क्या वर्तमान है
उठ जाग मत सो ज्यादा
देश का तुझपे अभिमान है

...देख चारोओर हर जगह
फैला भ्रष्टाचार है
तू क्या अब भी सोता रहेगा
जो तू कल का सहार है

क्या रक्खा है नशे में
क्यों "काम" के पीछे तू बेकार है
क्या जिंदगी इसी से है तेरा
इसी से तो तेरा स्वाहा संसार है

तेरी ख्वाहिशे हीं तो लुट रही है
कुछ खिले अनखिले संसार को
स्वर्ग सी धरती हो जाये
बस तू विचार ले अपने विस्तार को

जाग तेरे सोने से एक युग बंचित हो रहा है
जाग तेरे सोने कोटि मानुष रो रहा है
क्या तू अब भी सोता रहेगा
जो तेरे सोने से तेरा आत्मा भी जो सो रहा है

जाग दिखादे अपना हौसला
जहर तुझे, जग़ को पिलाने वालो को
तू बता दे तू गंगा है
अस्तित्व तेरा "है!" बतादे तुझसे नहाने वालो को

जाग "युवा" अब न जगा तो देर हो जायेगा
तेरे सोने के साथ साथ इंसानियत सो जायेगा
इतिहास के पन्ने फिर न दोहराएंगे वीरो की कहानी
हर इतिहास तब रावन लिखवाएगा
(शंकर शाह)

Monday 13 December 2010

Muskan ke Sath / मुस्कान के साथ

हमारे चलने के साथ साथ एक भीड़ चलता...एक उम्मीद के साथ की मौका मिले की हमारा पैर खिंच सके..आस्तीन के सांपो से घिड़े हुए...कई सोच विचारो के मिलावट से मैंने बचाओ रूपी कई दवाईयों का आविष्कार किया...पर वो मुझ से बड़े अविष्कारकर्ता निकले...मेरे हर अविष्कार के साथ उनका एंटीबायोटिक तैयार होता है...जो भी हो हर हार के बाद मै भी जुट जाता एक नए अविष्कार में...इस सिलसिलो में एक चीज सिखने को मिला...हमारा सबसे बड़ा कमजोड़ी यह है हम आवेश में आ जाते है और हम अपना काबिलियत खोने लगते है...मैंने शुरुवात कर दिया है उनका स्वागत करना मुस्कान के साथ और आप....


(शंकर शाह)

Saturday 11 December 2010

Jindagi Adhura Na Reh Jaye / जिंदगी अधुरा न रह जाये

दिनों के बाद आज सूरज के उतार चढाव को देखने मिला...जिंदगी भी हमारी ऐसी हीं है न...सुबह के लालिमा से चलते चलते एक मोड़ आता है...जहाँ  अँधेरे के सिवा कुछ नहीं...पर इस अँधेरे में चाँद मिल जाता है एक भरोसे के साथ फिर कल सुबह...चाहे सुबह हो या न हो....जहा जिम्मेदारी के बोझ में हम सूरज होते है...वही कुछ पल अपनों के.. हमारे अन्दर चाँद के लिए तरस जाता है...चलिए सूरज चाँद के फासलों के बिच एक ब्रिज बनाये एक नए सोच के साथ पता नहीं कल हो न हो और जिंदगी अधुरा न रह जाये...


(शंकर शाह)

Wednesday 8 December 2010

हम गम हीं गम में खुद को जलाते रहे...उनका प्यार तो देखो हमारे गम से घर का बाती जलाते रहे...गम में हमारे आंखे नदी बन गई...और उन बेशर्मो को देखो कपडे खोल उसमे नहाते रहे...

(शंकर शाह)

Monday 6 December 2010

I HATE YOU

* I Hate U *

I Hate U......
Wait Me For So Long
I Hate U
Coz U
I Hate U......
Coz U Make Me Lively
I Hate U......
Coz U Want Me Perfect

I Hate U......
Coz U Trust Me Blindly
I Hate U......
Coz U Make Me Selfish
I Hate U......
C
oz U Stimulate My
Feelings
I Hate U......
Coz U Make Me Strong
I Hate U......
Coz U Invlove Me
In Relation
I Hate U......
Coz U Don't Make My Fun

I Hate U......
Coz U Understand Me
Coz U Warm My Heart
I Hate U......
Coz U Make Me
Broadminded
I Hate U......
Coz U Make Me Poet
I Hate U......
I Hate U......
Coz......... ..
I Madly Love U

Wednesday 1 December 2010

हमारे नादानियों मतलब ये नहीं की हमे कुछ पता नहीं...हम तो चुप रहते है...आपका मुस्कान कीमती है जो मेरे लिए.....
(शंकर शाह)