Monday 12 November 2012

Jindagi Jinda Rahe / जिंदगी जिन्दा रहे

कभी मिले हो एक ऐसे चेहरे से जो आइना हो खुद का। कभी मिलाये हो ऐसे नजर से जो देखता है तो तुम्हे पर कहीं उतर जाता है खुद में खूब गहराई तक। भगवान बस देना ताकत की अगर लैंपपोस्ट नहीं बन सका तो कोई बात नहीं पर जुगनू बन उम्मीद को जिन्दा रखु किसी झोपड़े का और जिन्दा मै भी रहूँ ताकि आत्मा और मेरे बिच, जिंदगी जिन्दा रहे।

(शंकर शाह) 

Thursday 8 November 2012

Mere Hisse Ka / मेरे हिस्से का

याद है की तुम कभी थी सुबह के ओश बनके मेरे जिंदगी के पत्तियों पे। सूरज इन्द्रधनुष बन एहसास कराता था, की कुछ रंग है मेरे जीवन में भी। वक़्त है की करवटे बदलता रहा और रात है की निहारता है तुम्हे अब चाँद में। अब उतरो हकीकत बनके मेरे प्यार छत पे और मिलो तुम की मेरे हिस्से का करवाचौथ अभी बाकि है।

शंकर शाह

Friday 2 November 2012

Khap / खाप

कोई उतरता है ख्वाब बनके रोज़ रात में...और कई कहते है, ख्वाब ख्वाब हिन् रहे तो अच्छा है...इच्छा है,कोई डाल दे जिन्दा इंसान मे जिंदगी और मेरे अधूरे बोल संगीत बन थिद्के किसी के होंठो पर...जिंदगी अब  मिल भी जाओ, वक़्त है की ठहरता हिन् नहीं है और "खाप" वाले है की प्रेम के चौपाल पे मंदिर बना रहे है.....

( शंकर शाह )