परीक्षा के समय मै जब महसूस हुआ उतीर्ण नहीं हूँगा.. तो नींद से समझौता किया..जब भूख लगी जो मिला उसी से समझौता कर लिया..खड़ा होके सफ़र करने के बजाय जहा मिला जगह उसी में समझौता कर लिया..लालसा, डर से समझौते का जन्म होता है..समझौता बुरा नहीं है करना चाहिए..पर आत्मा को कोठरे मैं बंद करने के नहीं..
(शंकर शाह)
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