जब भी देखता हूँ आसमान का दामन बादलो से घिरा हुआ....ख्यालो के समुन्द्र में ज्वार भाटा आने लगते है...कैसे आसमान अपने दामन को उस काली परछाई से छुटना चाहता है...अपने सिने में दरार पैदा करता है...एक सबक है "अँधेरा जितना भी गहरा हो छन्भंगुर है " क्योकि उजाला उससे कुछ फासला हीं दूर है....
(शंकर शाह)
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