सोचता हूँ वो पल भी कैसा रहा होगा
जब औरत बच्चे, बूढ़े, जवान
हर एक ने दिल का सुना होगा
और जुल्म नहीं का विचार
जब हतौड़ा बना होगा !!
सोचता हूँ वो पल भी कैसा होगा
जब मै, तुम, संप्रदाय विभिन्ताओ
का आवाज न होगा जब एक सुर
सबका और एक तान रहा होगा !!
सोचता हूँ वो पल कैसा रहा होगा
जीने का न चाहत रही होगी
न मर जाने का डर रहा होगा
जब अपने से ऊपर देश रहा होगा !!
जब औरत बच्चे, बूढ़े, जवान
हर एक ने दिल का सुना होगा
और जुल्म नहीं का विचार
जब हतौड़ा बना होगा !!
सोचता हूँ वो पल भी कैसा होगा
जब मै, तुम, संप्रदाय विभिन्ताओ
का आवाज न होगा जब एक सुर
सबका और एक तान रहा होगा !!
सोचता हूँ वो पल कैसा रहा होगा
जीने का न चाहत रही होगी
न मर जाने का डर रहा होगा
जब अपने से ऊपर देश रहा होगा !!
सोचता हूँ वो पल कैसा रहा होगा
भूख की कहा फिकर थी उनको
न उनको किसी से बिछारने का डर रहा होगा
मौत हीं नींद थी फिर कहा वो लड़ने डरा होगा !!
सोचता हूँ वो पल कैसा रहा होगा
चिताओं के सेज पे जब अपनों का
आकार जला होगा, फिर भी न रोक सका
कदम वो अभिमान कैसा रहा होगा
सोचता हूँ वो पल कैसा रहा होगा !!
सोचता हूँ मेरे लालसा भरी बहकते
कदम देख, उन सब वीर वीरांगनाओं का
कितना दिल जला होगा, जब मिलेंगे मुझसे
मेरे पास उनको कहने को क्या होगा,
सोचता हूँ वो पल कैसा रहा होगा
शहीद दिवस पे भगत सिंह, राजगुरु और शहीद सुखदेव को कोटि कोटि नमन!!!!!
(शंकर शाह)
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