जा दोस्त तुझे
कभी याद न आऊंगा
मै तेरे शहर से
दूर चला जाऊंगा
पहुत चोट खाए
अब दर्द को न बहलाऊंगा
मै तेरे शहर से
दूर चला जाऊंगा
सोचा क्या तुमने
"ऐसा मजबूरी भी क्या
हमने तुझमे जिया
तेरे जुदाई में मर जायेंगे
येही मेरी किस्मत है
तेरा गम तेरे आंशु
तेरी मजबूरी अपने साथ
ले जाऊंगा
मै तेरे शहर से
दूर चला जाऊंगा
दुआ है बस खुश रहना तू
गम तुझसे फसलो में रहे
मै तेरे हर गम को साथ
ले जाऊंगा
मै तेरे शहर से
बहुत दूर चला जाऊंगा
(शंकर शाह १०-०२ -२००३)
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