मुरारी लाल सिर्फ सपने नहीं देखता वो अपने मेहनत अपने प्रतिभा से एक दुनिया बनाना चाहता है अपना....वो गाँव के गलियों को छोड़कर सहर के स्ट्रीट का छांक छान रहा है...की कोई उसके प्रतिभा को भी पहचाने...कहने को अपने मेहनत और प्रतिभा से वो एक दुनिया तो बना सकता है...पर नींव के लिए जमीन कहा से लाये..दुनिया में लाखो प्रतिभाये जन्म लेती है पर कई अपने आप को साबित कर पाते है..वक़्त को प्रतिभा की तलाश है पर वो वक़्त आयेगा कब..जब परखने वाला प्रतिभा को प्रभावित बनाएगा, प्रभावहीन नहीं.......
(शंकर शाह)
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