Saturday 26 June 2010

Kal To Har Roz Ata / कल तो हर रोज आता

मौसम बदला ऋतू बदली बागो में फूल खिले, पेड़ो पर फल फले कोयल मुस्कुराई, अपने मीठे स्वर में संगीत सुनाई..फिर मौसम बदला ऋतू बदली बाग़ अब लगते है उजरे उजरे..पेड़ उदास साम सा अपने टूटे पत्तियों को समेत रहा...कोयल जो मीठा संगीत सुनाती..वक़्त के साथ उर चली..बदलाव जीवन का मौत जैसा सच..ऋतुएं तो बदलती रहेगी मौसम भी...पर कब तक उन जैसे हम भी...फिर बसंत आयेगी..फिर से जिंदगी मुस्कुराएगी..तब तक क्या जिंदगी धर्केगी..कल तो हर रोज आता है पर आज क्या कल फिर आयेगी..?



(शंकर शाह)

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