Sunday 23 February 2014

Atmgyan / आत्मज्ञान

मै हूँ कई रहस्यो के कई परतो में लिपटा हुआ। 
कभी खुलेगा क्या ये परत, या कोई घाव बन रिसेगा और कर देगा बीमार। या खुद हिन् पर्यास करूँगा और खोलूँगा खुद पे चडे परतो को और पा लूँगा आत्मज्ञान या कोई आयेगा और उघेरेगा करेगा सल्य चिकीत्सा और उघेरेगा एक एक परतो को। 
है उम्मीद की एक दिन खुद के खोज मे,  रहस्य नहीं "मै हूँगा"।

शंकर शाह

No comments:

Post a Comment