Friday 2 July 2010

Ek Jinda Robot Hoon / एक जिन्दा रोबोट हूँ

एक भीड़ है जो चल रहा है..एक रास्ता है जो उस भाड़ को सह रहा है..जो मूक है वो इशारा कर रहा और जो बोल सकता है वो रोबोट सा अनुसरण कर रहा है..रास्ता गवाह बन कह रहा है आपबीती उन पथिको का अपने में समेटे उनके अवसेशों के सहारे..फिर भी भीड़ को तो चलना है चल रहा है..पता नहीं लाशों के साये पर कितनो का चलना अच्छा क्यों लगता है और कितनो को उन्ही लाशो के अर्थी पर बलात्कार रूपी राजनीती..पर मेरा क्या में भी तो एक जिन्दा रोबोट हूँ..अभी कलपुर्जा बेटरी का वारेन्टी तो है..


(शंकर शाह)

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