Thursday 8 July 2010

Hum Sanskari Log Hain / हम संस्कारी लोग है

सृस्ती के एक हीं गर्भ से पैदा हुए..पर संस्कार देने वाले अलग अलग राह अनुसरण कराते रहे..इतिहास के पन्नो में मैंने भी अनुसरण किया उस राह को और तुमने भी..अपना पदचिन्ह छोडते रहे ताकि दूसरा भी अनुसरण करे..एक घर में कई चेहरे पर उनपे मोहर अलग होने का.. एक ठप्पा विचारो के बोझ का..तुम भी उठाओ में भी उठाऊ "संस्कृति" है और हम संस्कारी लोग है.....

 

 

(शंकर शाह)

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