Thursday 22 July 2010

Mahan Aviskar Ka Avishkarkarta / महान आविष्कार का आविष्कारकर्ता

ख्वाबो के गिनती से अलग होकर जब रात के आगोश में लौटता हूँ तो असमान अपने तरफ आकर्षित करने लगता है.उलझ जाता हूँ तारों से अंखियों का छुपनछुपाई खेलने में.सप्तऋषिओं का खोज ऐसा लगता है जैसे किसी महान आविष्कार का आविष्कारकर्ता में हीं हूँ.हवा दोस्त का लोरी सुनकर जब आंख पलक झलकने लगते है तो चंदामामा कान में आकर फुसफुसा कर कहते हैं रात अभी बाकि है.फिर हाँथ  नए आविष्कार के लिए तारो को आँखों के दायरे में कैद करने लगता है........



(शंकर शाह)

No comments:

Post a Comment