Thursday 23 September 2010

Pyaar Ka Samarpit Drishya / प्यार का समर्पित दृश्य

व्याकुल मन थक के जब शांति ढूंढता था .आकर्षित करने लगता था गाँव के मुहाने पर का तालाब..अच्छा लगता था  देखना ढलते सूर्य की लालिमा जल के दर्पण में...मछलियो का निर्भय विचरण जो लोक जीवन में दुर्लभ हो गया है..प्यार का समर्पित दृश्य हंसो के जोड़े मे ..बहुत अच्छा लगता था ढलते सूरज को अपने मुट्ठी मे कैद करना... काश भागमभाग के जिंदगी मे दम तोड़ते यादो को अपने बच्चो के बचपन से जोड़ पाता 



(शंकर शाह)

1 comment: