युवा तेरे हाथो में भविष्य पर तेरा क्या वर्तमान है उठ जाग मत सो ज्यादा देश का तुझपे अभिमान है
...देख चारोओर हर जगह फैला भ्रष्टाचार है तू क्या अब भी सोता रहेगा जो तू कल का सहार है
क्या रक्खा है नशे में क्यों "काम" के पीछे तू बेकार है क्या जिंदगी इसी से है तेरा इसी से तो तेरा स्वाहा संसार है
तेरी ख्वाहिशे हीं तो लुट रही है कुछ खिले अनखिले संसार को स्वर्ग सी धरती हो जाये बस तू विचार ले अपने विस्तार को
जाग तेरे सोने से एक युग बंचित हो रहा है जाग तेरे सोने कोटि मानुष रो रहा है क्या तू अब भी सोता रहेगा जो तेरे सोने से तेरा आत्मा भी जो सो रहा है
जाग दिखादे अपना हौसला जहर तुझे, जग़ को पिलाने वालो को तू बता दे तू गंगा है अस्तित्व तेरा "है!" बतादे तुझसे नहाने वालो को
जाग "युवा" अब न जगा तो देर हो जायेगा तेरे सोने के साथ साथ इंसानियत सो जायेगा इतिहास के पन्ने फिर न दोहराएंगे वीरो की कहानी हर इतिहास तब रावन लिखवाएगा (शंकर शाह)
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