Monday 20 September 2010

Kuchh Bite Pal / कुछ बीते पल

बीते वक़्त को खंगाल के देखा तो यादो के रूप में बहुत सारे मोती हाथ में आ गिरे...कुछ बीते लम्हों के मोतीयों ने याद दिलाये कितना प्यारा वक़्त था न जो बीत गया..और......कुछ बीते पल छुईमुई की तरह हो गयी है...उसे यादो के आगोश में उसे पकरना तो चाहता हूँ पर वो खुद को वक़्त के पत्तीओं सी छुपा लेती है...आज ऐसे हीं कुछ लम्हे को पकरना चाहा
 

(शंकर शाह)

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