कल से आज के बिच में बहुत कुछ बदलते देखा...ज़माने बदलने के साथ हम बदल रहे है या हमारे बदलने जमाना बदल रहा है? बदलाव है और क्यों मालूम है, पर सोच पर एक रंगीन पट्टी है बहाने का..कल जहाँ मंदिरों में भगवान बसते थे अब मंदिरों के खुले प्रांगन से निकल दिल के संकरा गलियो में बसने लगे है...और पूर्वजो का देवघर छोटे हो रहे कुतुम्बन सा, बक्से में बंद होने लगे है..मेरे लिए मायने यह है की ,मै कहा तक जिन्दा हूँ जिदगी के साथ बदलते समय और इंसान के बिच में ..महाशिवरात्रि के अवसर पर सभी दोस्तों को शुभकामनाये
(शंकर शाह)
(शंकर शाह)
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