Friday 2 November 2012

Khap / खाप

कोई उतरता है ख्वाब बनके रोज़ रात में...और कई कहते है, ख्वाब ख्वाब हिन् रहे तो अच्छा है...इच्छा है,कोई डाल दे जिन्दा इंसान मे जिंदगी और मेरे अधूरे बोल संगीत बन थिद्के किसी के होंठो पर...जिंदगी अब  मिल भी जाओ, वक़्त है की ठहरता हिन् नहीं है और "खाप" वाले है की प्रेम के चौपाल पे मंदिर बना रहे है.....

( शंकर शाह )

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