Friday 13 August 2010

Budhi Amma / बूढी अम्मा

बूढी अम्मा, पुकारती बिरजू को बीमार है...पर बिरजू है की उसके पास समय ही नहीं ... पापा के पास भी नहीं...मम्मी के पास भी नहीं और तो और बिरजू के पास भी नहीं...घडी के काँटों सा खुद को बना तो लिया है और गर्व है की दुनिया मुझे हीं तो देखती है पूछती है...पर भूल जाते है हर साख की वजूद उसके तनो से है...और तना का वजूद मिटटी से...समय चक्र के संगत में बूढी अम्मा, दादा, पापा  को भूल तो सकते है.. पर वक़्त के चक्र का प्रभाव अपने ऊपर पड़ने से कैसे रोके...

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