Wednesday, 19 February 2025

एक प्रेम संगीत

रात का ख़ामोश प्रहर जब दुधिया रोशनी मैं घोलता है यादों का चाशनी ना जाने क्यों, सिर्फ़ तुम होती हो मानो जैसे संगीत, तुम्हारा संग और साँसों मैं ख़ुशबू गुनगुना रही हो एक प्रेम संगीत ! शंकर शाह

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