एक नन्हा पेड़ किसी के क्यारी मैं आता है तो उसी वक़्त फैसला कर लेता है की ये बड़ा होगा तो फल खायेंगे...लकड़ियों से चूल्हा जलाएंगे....और बुड्ढा हो जायेगा तो इसकी लकड़ों से दरवाजा पलंग कुर्सी बनायेंगे...और जब उसी पेड़ पर कोई और हिस्सा ज़माने लगता है तो....इसी तरह धर्म... नैतिकता के नाम पर अनैतिक कार्य करते जाओ उपरलोक में ऐयाश गृह तो तैयार है हिन् न...और......
(शंकर शाह)
No comments:
Post a Comment