Sunday, 16 May 2010

Karan Soch ko / कारण सोच को

फूल और कांटे दोनों तो एक पेड़ के हीं हिस्से है पर कभी हम फूल को अहमियत देते है तो कभी कभी काँटों को...क्यों?...चाँद खुबसूरत भी है और उसमे दाग भी..पानी जिंदगी भी देती है और उसमे डूब जाओ तो मौत भी...सोच हमारे नजरिये को और कारण सोच को सोचने पर मजबूर करता है..अब निर्भर करता है की इसके आगे सोचना है.. की....
(शंकर शाह)

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