Monday, 23 August 2010

Mai Loutna Chahta Hoon / मै लौटना चाहता हूँ

मै लौटना चाहता हूँ...छुट रहे भागमभाग में अपनों के घर...मै लौटना छाहता हूँ...आंशु की तरह सुनी गलिओं में जहाँ बचपन दौड़ा करता था...मै लौटना चाहता हूँ...उस मंदिर के चौखट पर जहाँ झगरा "भगवान  कसम" के नाम पर हिन् मर जाया करता था...मै लौटना चाहता हूँ...माँ के गोद में...जिसकी आंचल जो अब प्यासी है मेरे पसीने आंसू पोछने को..मै लौटना चाहता हूँ...मेरे पेड़दादा अब भी जो मेरे बचपन के निशानिओं को अपने में समेटे रखा है...मै लौटना चाहता हूँ.....:( 



(शंकर शाह)

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