Monday, 24 October 2011

Happy Diwali / दिवाली मुबारक

आज सुबह के धुप में आने वाले कल के लिए हजारो दीपक जगमगा रहे है आँखों में...उम्मीद से रौशनी और आज को समर्पित हम कल के लिए पटाखे है...दिवाली के लिए हम राम तो नहीं जो लोटेंगे घर...हम एक सफ़र बनके निकलेंगे जो रामराज्य ला सके..एक प्रण और दृढ़ता के साथ दिवाली हम सब को मुबारक हो....

(शंकर शाह)

Saturday, 15 October 2011

Kayro Ke Basti / कायरो के बस्ती

कायरो के बस्ती
में एक भीड़ देखा
नोच रहे है गिद्धों की
तरह अपने आत्मा को
और विचार आइने में
खूबसूरती धुंध रहे है

बहुत कुछ है करना चाहिए

पर कुछ हिन् बस में है
की जो वो कर सकते है
जो की दुसरे की आंच पे
अपना रोटी सेंकना है

कौन कहता है यहाँ

राजनीति सिर्फ नेता करते है
इस गाँव के हर चेहरे पे
लोमरी मुखौटा लगा बैठा है
कायरता को बटुआ बना
पीछे के जेब में दबा रखा है

नोच रहे है खुद को

जानते है ये
पर बहानो के कवच से
खुद को बचाए रखा है

धुप में पैर सेंकते

हिन् नहीं ये बंधू
और कहते है आज
चांदनी में आग है


(शंकर शाह)

Tuesday, 4 October 2011

Nam Ankho Se / नम आँखों से

कुछ पल दिमाग के कैद से निकल के...फ़ैल जाते है आँखों के अंतरिक्ष में...कभी ये अन्तरिक्ष के आकाशगंगा से कैद हुए तारे है ...पर अब ये मस्तिक के किसी पेटी में कैद हो गए है...अब जब भी खोलता हूँ बंद पेटी और  देखता हूँ इन्हें..नम आँखों से एक मुस्कान होता है होंठो पर

(शंकर शाह)